भूमिका

नौवहन महानिदेशालय, नौवहन मंत्रालय, भारत सरकार का एक अधीनस्थ कार्यालय है जो सभी कार्यकारी मामलों, समुद्री नौवहन से संबधित और स्वतंत्रता के बाद से भारतीय नौवहन के विलम्बित रहे विषयों के साथ डील करता है। और उसके बाद से ही, नौवहन विकास राज्य नीति को आकृष्ट करता है। आरंभ में नौवहन 1949 तक वित्तिय मंत्रालय के साथ डील करता था और इसके बाद 1951 में इसे परिवहन एंव नौवहन मंत्रालय में बदला गया। 1947 में, भारत सरकार ने नौवहन को, उद्योग के कुल विकास का लक्ष्य बनाकर राष्ट्रीय नीति कि घोषणा की। विकास प्रयासों में तेजी लाने के क्रम में, एक केंद्रीकृत प्रशासनिक संगठन की आवश्यकता महसूस की गई और तदनुसार, सितम्बर 1949 में बम्बई में मुख्यालय के साथ नौवहन महानिदेशालय की स्थापना की गई।

यह महानिदेशालय समुद्री प्रशासन, समुद्री शिक्षा और प्रशिक्षण, नौवहन उद्योग के विकास और अन्य सभी संबंधित विषयों के मामलों के साथ डील करता है।

नौवहन महानिदेशालय के प्रारंभिक उद्देश्य थे:

  • मर्चेंट नौवहन एवं मर्चेंट नौवहन कानून के नाविक विद्या और प्रशासन को प्रभावित करने वाले मामलें;
  • जीवन और समुद्र में जहाज की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपाय;
  • भारतीय नौवहन का विकास
  • समुद्री मामलों से संबंधित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
  • अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए सुविधा और मर्चेंट नेवी के लिए मूल्यांकन प्रावधान

Regulation of Employment of Seamen and there welfare;

  • नाविक के रोजगार का नियमन एंव उनका कल्याण;
  • समुद्रगामी जहाज उद्योग और विदेशी व्यापार में महासागर मालभाड़ा दरों के नियमन का विकास;

भारतीय नौवहन महानिदेशालय, नौवहन प्रशासनिक क्षेत्राधिकार के तहत पॉलिसी एंव कानून, जीवन और समुद्र में जहाज की सुरक्षा सुनिश्चित करने, समुद्री प्रदूषण के निवारण, अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन के साथ समन्वय से समुद्री शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा देने, नाविकों के रोजगार और विनियमन कल्याण, तटीय नौवहन के विकास, नौवहन टन भार में बढ़ोतरी, मर्चेंट नेवी अधिकारियों की परीक्षा एंव प्रमाणीकरण, संबद्ध कार्यालयों के पर्यवेक्षण और नियंत्रण आदि के आचरण का क्रियान्वयन करती है।

नौवहन महानिदेशक को मर्चेंट नौवहन अधिनियम, 1958 की अनुसूची 7 के अंतर्गत वैधानिक अधिकार प्राप्त है, नौवहन महा निदेशक को प्रशासनिक पक्ष में, वरिष्ट नौवहन उपनिदेशक, नौवहन उपनिदेशक, सहायक नौवहन निदेशक और कार्यकारी अधिकारी जबकि तकनीकि पक्ष में समुद्री सलाहकार, उपनिदेशक द्वारा समर्थन प्राप्त समुद्री सलाहकार वहीं इंजीनियरिंग पक्ष की ओर से मुख्य सर्वेक्षक, उपनिदेशक द्वारा समर्थन प्राप्त मुख्य सर्वेक्षक, उपनिदेशक मुख्य जहाज सर्वेक्षक, इंजीनियर एंव जहाज सर्वेक्षक और सहायक स्टाफ से सहायता प्रदान की जाती है। जहाज सलाहकार औऱ मुख्य सर्वेक्षक भी नौवहन महानिदेशक की तरफ से क्रम से मुख्य परीक्षक के मास्टर/साथी और इंजीनियर्स के रूप में कार्य करते है।

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